दादा गुरुदेव मणिधारी श्री जिनचंद्रसूरि जी की आरति
जय जय मणिधारी, आरति करूँ हितकारी,
सुख सम्पति कारी ।। जय ।।
गुण मणि आगर, महिमा सागर, भवि जन हितकारी
दीन दयाल दया कर मोपर जिन शासनवारी ।। जय ।।
ग्यारसें सत्तानवे वरसे अपनी हरख वधाई
बारेसें तेवीसे वर्षे सुर पदवी पाई ।। जय ।।
कर जोड़ी सेवक गुण गावे, मन वांछित पावे
श्री जिनचंद्र कृपा कर मोपर, मंगल माला घर आवे ।। जय ।।