युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरि कृत सप्रभाव स्तोत्र मम हरउं जरं मम हरउ विझरं डमरं डामरं हरउ । चोरारि-मारि-वाही हरउ ममं पास-तित्थयरो ।। १ ।। एगंतरं निच्चजरं…
Shri guru dev dayal ko man me dhyan lagai Asht sidhi navnidhi mile, man vanchit fal pai Shri guru charan sharan me aayo, dekh daras…
दादा गुरुदेव मणिधारी जिनचंद्रसूरि के पट्टधर श्री जिनपतिसूरि हुए। आपका जन्म विक्रमपुर में मालू गोत्रीय यशोवर्धन की धर्मपत्नी सुहवदेवी की रत्नकुक्षि से सम्वत 1210 में…
* दोहा * श्री गुरुदेव दयाल को, मन में ध्यान लगाय । अष्ट सिद्धि नव निधि मिले, मन वांछित फल पाय ।। * चौपाई *…
दादा गुरुदेव श्री जिनदत्तसूरि जी के पट्टधर, सूर्य के समान तेजस्वी आचार्य श्री जिनचंद्रसूरि, मणिधारी दादा गुरुदेव के नाम से जाने जाते हैं। असाधारण व्यक्तित्व…
भगवान महावीर की धर्म-परंपरा को जीवित एवं विशुद्ध बनाये रखने के लिए समय समय पर अनेक अमृत-पुरुष हुए। उनमें आचार्य जिनदत्तसूरि जैसे नवयुग प्रवर्त्तक महापुरुष…
आचार्य अभयदेवसूरि के पट्ट पर जिनवल्लभसूरि हुए। वे मूलतः आशिका नगरी (हांसी) के निवासी थे। उनके पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे। अतः…
संवेग रंगशाला के रचयिता श्री जिनचन्द्रसूरि के पट्टधर नवांगी टीकाकार श्री अभयदेवसूरि हुए। आपका जीवन वृतांत हमें “प्रभावक चरित्र” नामक ग्रन्थ से प्राप्त होता है।…
आचार्य जिनेश्वरसूरि के पट्ट पर सूरियों में श्रेष्ठ श्री जिनचंद्रसूरि हुए। वे नवांगी टीकाकार अभयदेवसूरि के वरिष्ठ गुरुभ्राता थे। खरतरगच्छ की परंपरा में जिनचंद्रसूरि के…
आचार्य बुद्धिसागरसूरि मध्य देश के निवासी थे। उनके पिताजी का नाम कृष्ण था। इनका बचपन का नाम श्रीपति था और वे जिनेश्वरसूरि के भाई थे।…