सप्रभाव स्तोत्र

युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरि कृत सप्रभाव स्तोत्र मम हरउं जरं मम हरउ विझरं डमरं डामरं हरउ  । चोरारि-मारि-वाही हरउ ममं पास-तित्थयरो  ।। १ ।। एगंतरं निच्चजरं…

दादा गुरुदेव जिनदत्तसूरि

भगवान महावीर की धर्म-परंपरा को जीवित एवं विशुद्ध बनाये रखने के लिए समय समय पर अनेक अमृत-पुरुष हुए। उनमें आचार्य जिनदत्तसूरि जैसे नवयुग प्रवर्त्तक महापुरुष…

दादा श्री जिनदत्तसूरि काव्यम्

दासानुदासा इव सर्वदेवा यदीय पदाब्जतले लुठंति मरुस्थलीकल्पतरुः स जीयात् युगप्रधानो जिनदत्तसूरिः  ।।१।। चिंतामणिः कल्पतरूर्वराकौ कुर्वन्ति भव्याः किमु कामगव्या प्रसीदतः श्रीजिनदत्त सूरे सर्वे पदा हस्तिपदे प्रविष्टाः …